राजस्थान की राजनीति इन दिनों सुर्खियों में है। सोशल मीडिया पर #भजनलाल_हटाओ_राजस्थान_बचाओ ट्रेंड ने तहलका मचा दिया है, और लोग मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं। हाल के महीनों में उनके विवादास्पद बयानों और नीतियों ने न केवल विपक्ष को हमला करने का मौका दिया है, बल्कि आम जनता के बीच भी असंतोष की लहर पैदा की है। आखिर इस ट्रेंड के पीछे की कहानी क्या है? क्या यह सिर्फ सियासी खेल है, या राजस्थान की जनता वाकई बदलाव चाहती है? आइए, इस मुद्दे को गहराई से समझते हैं।

भजनलाल शर्मा के बयानों ने क्यों मचाया हंगामा?
भजनलाल शर्मा, जो 2023 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री बने, अपने बयानों के कारण बार-बार चर्चा में रहे हैं। हाल ही में, उन्होंने राजस्थान के राजकीय पशु ऊंट को राष्ट्रीय पशु कहकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया। इस तरह के बयानों ने न केवल विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस को, बल्कि सोशल मीडिया पर भी उनकी आलोचना का मौका दिया। विपक्ष का कहना है कि ऐसे बयान मुख्यमंत्री की गंभीरता और जिम्मेदारी पर सवाल उठाते हैं। इसके अलावा, उनके कुछ नीतिगत फैसलों, जैसे धारा 42(बी) में बदलाव, को लेकर भी आदिवासी और दलित समुदायों ने असंतोष जताया है। यह बदलाव कथित तौर पर बड़े पूंजीपतियों के हित में माना जा रहा है, जिससे सामाजिक न्याय की मांग करने वाले समूहों में नाराजगी बढ़ी है।
#भजनलाल_हटाओ_राजस्थान_बचाओ: सोशल मीडिया पर क्यों उभरा यह ट्रेंड?
सोशल मीडिया, खासकर एक्स पर, #भजनलाल_हटाओ_राजस्थान_बचाओ हैशटैग ने तेजी से लोकप्रियता हासिल की है। कई यूजर्स का मानना है कि भजनलाल शर्मा की सरकार कुछ समुदायों, जैसे जाट, मीणा, गुर्जर और दलितों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियां लागू कर रही है। उदाहरण के लिए, कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया कि पुलिस प्रशासन के जरिए इन समुदायों के युवाओं को टारगेट किया जा रहा है, जिससे जनता में गुस्सा बढ़ रहा है। दूसरी ओर, कुछ लोग इसे विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस और आरएलपी (राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी) की सियासी चाल मानते हैं, जो बीजेपी को कमजोर करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। एक पोस्ट में दावा किया गया कि आरएलपी कार्यकर्ताओं ने इस ट्रेंड को 30,000 से ज्यादा पोस्ट्स के साथ वायरल कर दिया, जो उनकी संगठनात्मक ताकत को दर्शाता है।
क्या भजनलाल को हटाने की साजिश चल रही है?
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में दावा किया कि बीजेपी के अंदर ही भजनलाल शर्मा को हटाने की साजिश चल रही है। उनके अनुसार, यह साजिश दिल्ली और राजस्थान के कुछ बीजेपी नेताओं के बीच पक रही है। गहलोत ने यह भी कहा कि अगर भजनलाल इस साजिश को नजरअंदाज करते रहे, तो उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। हालांकि, बीजेपी के वरिष्ठ नेता राधा मोहन दास अग्रवाल ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि पार्टी में कोई बदलाव तभी होगा, जब विधानसभा चुनाव नजदीक होंगे। इसके बावजूद, गहलोत और भजनलाल के बीच तीखी बयानबाजी ने राजस्थान की सियासत को और गरमा दिया है। भजनलाल ने गहलोत के बयानों का जवाब देते हुए कहा, “जाके पीर न फटे बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई,” जिससे यह जंग और व्यक्तिगत हो गई।
भजनलाल सरकार के पक्ष में क्या हैं तर्क?
भजनलाल शर्मा की सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं, जो उनके समर्थकों के लिए एक बड़ा तर्क है। हाल ही में, उन्होंने 11 रिटायर्ड अधिकारियों की पेंशन रोकने और दो सेवारत अधिकारियों को बर्खास्त करने का फैसला किया। यह कदम भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति को दर्शाता है। इसके अलावा, भजनलाल ने कांग्रेस पर गरीबी हटाने के खोखले नारे देने का आरोप लगाया और दावा किया कि उनकी सरकार ने डेढ़ साल में कांग्रेस के पांच साल के काम को पीछे छोड़ दिया है। उनके समर्थकों का कहना है कि विपक्ष उनकी छवि खराब करने के लिए सोशल मीडिया पर नकारात्मक प्रचार कर रहा है।
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आगे क्या होगा?
राजस्थान की सियासत में यह उबाल अभी थमने वाला नहीं है। #भजनलाल_हटाओ_राजस्थान_बचाओ ट्रेंड ने जहां एक तरफ जनता की नाराजगी को उजागर किया है, वहीं दूसरी तरफ यह बीजेपी के अंदरूनी कलह और विपक्ष की रणनीति को भी दर्शाता है। भजनलाल शर्मा की सरकार को अपनी छवि सुधारने और जनता का भरोसा जीतने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। दूसरी ओर, विपक्ष को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी आलोचना सिर्फ सियासी फायदे के लिए न हो, बल्कि जनता की वास्तविक समस्याओं को उठाए।
कुल मिलाकर, यह सियासी जंग राजस्थान की जनता के लिए कई सवाल छोड़ रही है। क्या भजनलाल शर्मा इस तूफान को झेल पाएंगे, या राजस्थान में जल्द ही कोई बड़ा सियासी बदलाव देखने को मिलेगा? यह समय ही बताएगा।