देश में UPSC जैसी कठिन परीक्षा को पास करना लाखों युवाओं का सपना होता है, लेकिन यह सफर आसान नहीं होता। इसी कठिन राह पर चलते हुए एक नाम उभरा—नेहा ब्याडवाल। मात्र 22 साल की उम्र में UPSC क्रैक कर के उन्होंने AIR 569 हासिल किया और भारत की सबसे कम उम्र की IAS अधिकारियों में अपना नाम दर्ज कराया।

उनकी यह यात्रा सिर्फ मेहनत और अनुशासन की नहीं, बल्कि त्याग और समर्पण की भी मिसाल है। चलिए जानते हैं उनकी सफलता की पूरी कहानी, जो आज हजारों युवाओं को प्रेरणा दे रही है।
📚 पढ़ाई में हमेशा से रहीं अव्वल
नेहा ब्याडवाल का जन्म राजस्थान की राजधानी जयपुर में हुआ, लेकिन उनका पालन-पोषण छत्तीसगढ़ में हुआ। पढ़ाई में बचपन से ही तेज रहने वाली नेहा ने कॉलेज में टॉप किया और कई प्रतियोगी परीक्षाओं में भी सफलता पाई।
उन्होंने SSC जैसी सरकारी परीक्षाएं कई बार पास कीं, लेकिन उन्होंने उन नौकरियों को ठुकरा दिया क्योंकि उनका सपना सिर्फ एक था — UPSC क्लियर करना और IAS बनना।
📵 मोबाइल से दूरी और फोकस से भरी तैयारी
आज के समय में मोबाइल फोन युवाओं के लिए सबसे बड़ा ध्यान भटकाने वाला माध्यम बन चुका है। लेकिन नेहा ने इस चुनौती को भी मात दी। उन्होंने UPSC की तैयारी के दौरान तीन साल तक मोबाइल फोन को हाथ तक नहीं लगाया।
ये त्याग आसान नहीं था, लेकिन उनका सपना इतना बड़ा था कि उन्होंने हर उस चीज से दूरी बना ली जो उन्हें उनके लक्ष्य से भटका सकती थी।
उनका मानना है कि अगर मन से ठान लिया जाए, तो कोई भी साधन या सुविधा जरूरी नहीं होती, बल्कि आत्म-नियंत्रण और समर्पण ही सफलता की असली कुंजी होते हैं।
👨👧 पिता से मिली प्रेरणा, जो बनी मार्गदर्शक
नेहा के जीवन में उनके पिता की भूमिका बेहद अहम रही। उनके पिता एक वरिष्ठ आयकर अधिकारी हैं और उन्हीं को देखकर नेहा के मन में सिविल सेवा की भावना जगी।
पिता ने उन्हें मेहनत और ईमानदारी का पाठ पढ़ाया और हमेशा उनका हौसला बढ़ाया। नेहा कहती हैं कि जब उन्होंने ठान लिया कि उन्हें UPSC की तैयारी करनी है, तब उनके परिवार ने उनका पूरा साथ दिया और हर कदम पर उनका मार्गदर्शन किया।
💬 अब युवाओं को दे रही हैं प्रेरणा
UPSC क्रैक करने के बाद नेहा ब्याडवाल सिर्फ एक IAS अधिकारी नहीं रहीं, बल्कि वह एक रोल मॉडल बन गईं। आज वह अपने अनुभव सोशल मीडिया और सेमिनार्स के ज़रिए देशभर के युवाओं से साझा करती हैं।
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वह कहती हैं कि अगर कोई व्यक्ति पूरे मन से किसी लक्ष्य को पाने के लिए मेहनत करता है, तो कोई भी बाधा उसे रोक नहीं सकती। उनकी यह सोच आज हजारों युवाओं को न सिर्फ प्रेरित कर रही है, बल्कि उन्हें UPSC जैसी परीक्षाओं के लिए मानसिक रूप से तैयार भी कर रही है।